Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) – Part 1
हड़प्पा संस्कृति का उदय ताम्रपाषाणिक पृष्ठभूमि में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्च्मोत्तार भाग में हुआ । सबसे पहले 1921 ई में पाकिस्तान के हड़प्पा नमक आधुनिक स्थल से जानकारी प्राप्त होने के कारण , इसका नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा । 1921 ई में भारतीय विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देशन में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की एवं राखलावास बनर्जी के 1922 ई में मोहनजोदड़ो की खोदाई करवाई । परिपक़्व हड़प्पा संस्कृति का केंद्र पंजाब और सिंध में , मुख्यतः सिंधु घाटी में पड़ता है । यही से इसका विस्तार दक्षिण और पूर्व की और हुआ ।
क्रेडिट – यह पोस्ट अथवा पाठ्य सामग्री NCERT की पुस्तक सर महेश कुमार बरनवाल जी की सामान्य ज्ञान की पुस्तक से लिया गया है । किसी भी Competitive Exams की तैयारी के लिए NCERT की पुस्तक बहुत अच्छी है ।
नोट – Hadappa Sanskruti ( हड़प्पा संस्कृति ) के अंतरगर्त पंजाब , सिंध और बलूचिस्तान के भाग ही नहीं बल्कि गुजरात , राजस्थान , हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंतर्गत के सीमान्त भाग भी सम्मिलित थे । Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) का फैलाव जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मोहन तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान तट से लेकर पूर्व में मेरठ तक था ।
हड़प्पा सभ्यता का काल निर्धारण ( Hadappa Sabhyata ka Kal Nirdharan )
सैंधव सभ्यता की तिथि को निर्धारित करना भारतीय पुरातत्व का विवादग्रस्त विषय है । यह सभ्यता के आरम्भ में ही विकसित रूप में दिखाई पड़ती है तथा इसका पालन भी आकस्मिक प्रतीत होता है । ऐसी स्थिति में कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है । जॉन मार्शल के सर्वप्रथम 1931 ई में हड़प्पा सभ्यता ( Hadappa Sabhyata ) की तिथि लगभग 3250 ईसा पूर्व से 2750 ईसा पूर्व निर्धारिक किआ था ।
रेडिओ कार्बन – 14 ( C-14 ) जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के द्वारा Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) की तिथि 2500 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व माना गया है , जो सर्वाधिक मान्य है ।
निचे बने सारणी में विभिन्न विद्वानों द्वारा विभिन्न तिथिओ को दर्शाया गया है –
हड़प्पा सभ्यता का काल निर्धारण तिथि |
|
विद्वान | निर्धारिक तिथि |
जॉन मार्शल | 3250 ईसा पूर्व से 2700 ईसा पूर्व |
अर्नेस्ट मैक | 2800 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व |
माधो स्वरूप वत्स | 3500ईसा पूर्व से 2700 ईसा पूर्व |
सी जे गैड | 2300 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व |
मार्टीमर व्हीलर | 2500 ईसा पूर्व से 1500ईसा पूर्व |
फेयर सर्विस | 2000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व |
रेडिओ कार्बन | 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व |
NCERT | 2500 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व |
डी पी अग्रवाल | 2300 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व |
हड़प्पा संस्कृति के भगौलिक स्थल ( Hadappa Sankriti Ke Bhagaulik Sthal )
Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) के प्रमुख चार भगौलिक स्थल है –
मांडा – अखनूर जिले में चिनाब नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है । यह विकसित हड़प्पा सभ्यता का सर्वाधिक उत्तरी स्थल है । इसका उत्खनन 1982 ई में जगपति जोशी और मधुबाला ने करवाया था । मांडा में तीन संस्कृति स्तर – प्रक सैंधव , सैंधव और उत्तर सैंधव है ।
आलमगीरपुर – मेरठ जिले में हिडन नदी ( यमुना की सहायक ) के तट पर स्थित है । एक स्थल की खोज 1958 ई में भारत सेवक समाज संस्था द्वारा की गई थी । इसका उत्खनन कार्य यज्ञदत्त शर्मा द्वारा दिया गया था । यह Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) का सर्वाधिक पूर्वी स्थल है ।
दायमाबाद – महाराष्ट्र के अहमदाबाद जिले में प्रवरा नदी के बाये किनारे पर स्थित है । दैमाबाद सैंधव सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल है ।
सुत्कन्गेडोर – यह दश्क नदी के किनारे स्थित Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) का सबसे पश्चिमी स्थल है । इसकी खोज 1927 ई में सर मार्क आरेल स्टाइन ने की थी । हड़प्पा संस्कृति का सम्पूर्व क्षेत्र त्रिभुजाकार है तथा इसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर है । पंजाब में हड़प्पा और सिंध में मोहनजोदड़ो दोनों पाकिस्तान में पड़ते है । दोनों एक दूसरे से 483 किमी दूर स्थित थे तथा सिंधु नदी द्वारा जुड़े हुए थे ।
हड़प्पाकालीन स्थल , उत्खननकर्ता एवं प्राप्त साक्ष्य
हड़प्पाकालीन स्थल ( Hadappakalin Sthal ) |
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स्थल |
उत्खननकर्ता |
वर्ष |
वर्त्तमान क्षेत्र |
प्रमुख नदी |
प्राप्त साक्ष्य |
मोहनजोदड़ो | राखालदास बनर्जी , मार्टीमर व्हीलर | 1922 ई | लरकाना जिला , सिंध प्रान्त ( पाकिस्तान ) | सिंधु | पुरोहितो का आवास , महाविद्यालय , विशाल स्नानागार , 16 मकानों का बैरक , कांस्य की नग्न महिला मूर्ति , दाढ़ी वाले पुजारी की मूर्ति , चमकते हुए बन्दर का चित्र , एक श्रृंगी पशुओ वाली मुद्राये । |
हड़प्पा | रायबहादुर दयाराम साहनी , माधव स्वरूप वत्स , व्हीलर | 1921 ई | मोंटगोमरी जिला , पश्चिमी पंजाब ( पाकिस्तान ) | रावी | कांस्य गाड़ी , अन्न भंडार , पारदर्शी वर्स्त्र पहने हुए एक मूर्ति , गरुड़ चित्रित मुद्रा , कांस्य दर्पण , शंख का बैल , मछुआरे का चित्र । |
चन्हुदडो | एन जी मजूमदार और अनरेस्ट मैक | 1931 ई | सिंध ( पाकिस्तान ) | सिंधु | बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते का साक्ष्य , मनके बनाने का कारखाना , लिपस्टिक , कांस्य गाड़ी , वक्राकार ईंट , काजल , पाउडर , कंघा , तीन घड़ियालों तथा दो मछलिये के अंकन वाली मुद्रा । |
लोथल | रंगनाथ राव | 1957 ई | अहमदाबाद ( गुजरात ) | भोगवा | वृताकार तथा चौकोर , अग्नवेदिका , चावल और बाजरे पर दोमुहे राक्षस का अंकन , फारस की मुहर , घोड़े की मृण्मूर्ति , गोड़ीबड़ा , तीन गुग्मित समाधियाँ , पूर्ण हाथी दाँत , चालक लोमड़ी का चिन्ह आदि । |
कालीबंगा | अमलानंद घोष , ब्रजवासी लाल | 1953 ई , 1960 ई | हनुमानगढ़ ( राजस्थान ) | घग्घर | जूते हुए खेत , लकड़ी की नाली , भूकंप के साक्ष्य , अग्नि हवन कुंड , अलंकृत ईंट , चूड़ियाँ , एक साथ फसल बोने के साक्ष्य । |
बनावली | रविंद्र सिंह बिस्ट | 1973 ई | हिसार ( हरियाणा ) | सरस्वती | जौ , मिटटी का हल ( खिलौना ) , सड़को पर बैलगाड़ी के पहिये का साक्ष्य । |
रंगपुर | एस आर राव | 1954 ई | अहमदाबाद ( गुजरात ) | भादर | तीन संस्कृतिओ के अवशेष , नालियाँ , कच्ची ईंट के दुर्ग , धान की भूसी , ज्वार – बाजरा । |
रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | 1955 ई | रूपनगर ( पंजाब ) | सतलुज | मानव के साथ कुत्ते दफ़नाने का साक्ष्य , ताम्बे की कुल्हाड़ी । |
कोटदीजी | धुर्य एवं फजल अहमद खान | 1935 ई , 1955 ई | सिंध ( पाकिस्तान ) | सिंधु | किलेबंदी का साक्ष्य नहीं पर कच्चे ईंटो के माकन और चूल्हे । |
सुत्कन्गेडोर | सर मार्क ऑरेल स्टाइन | 1927 ई | बलूचिस्तान ( पाकिस्तान ) | दाश्क | बंदरगाह , तीन संस्कृतिओ के साक्ष्य , प्राकृतिक चट्टान पर अवस्थित , मानव अस्थि – राख से भरा बर्तन , बेबीलोन से व्यापार का साक्ष्य । |
सुरकोटदा | जगपति जोशी | 1964 ई | कच्छ ( गुजरात ) | सरस्वती | घोड़े की हड्डी , कलश शवाधान , तराजू का पलड़ा । |
सुटकाकोह | जॉर्ज डेल्स | 1962 ई | पेरिन ( बलूचिस्तान ) | शादी कौर | दो टीले व मृत्भांड । |
मंदा | जगपति जोशी | 1982 ई | जम्मू ( जम्मू – कश्मीर ) | चेनाब | चर्ट , ब्लेड , हड्डी के बाणाग्र , मुहरे । |
राखीगढ़ी | सूरज भान | 1969 ई | हिसार ( हरियाणा ) | घग्घर | ताम्र उपकरण , हड़प्पा लिपि युक्त मुद्रा । |
आलमगीरपुर | यज्ञदत्त शर्मा | 1958 ई | मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) | हिंडन | मृदभांडों पर मालगिलहरी की चत्रकारी । |
Hadappa Sabhyata Quiz in Hindi
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हड़प्पा सभ्यता से सम्बन्धिक प्रश्न ( Hadappa Sabhyata FAQs )
Answer – भारत में लोथल , रंगपुर ( अहमदाबाद , गुजरात ) , कालीबंगा ( हनुमानगढ़ , राजस्थान ) , बनावली ( हिसार , हरियाणा ) , रोपड़ ( रूपनगर , पंजाब ) , मांडा ( जम्मू , जम्मू – कश्मीर ) राखीगढ़ी ( हिसार , हरियाणा ) और आलमगीरपुर ( मेरठ , उत्तर – प्रदेश ) में हुआ था ।
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Answer – हड़प्पा नगर में कांस्य गाड़ी , अन्न भंडार , पारदर्शी वर्स्त्र पहने हुए एक मूर्ति , गरुड़ चित्रित मुद्रा , कांस्य दर्पण , शंख का बैल , मछुआरे का चित्र मिले है
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Answer – हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम सिंधु घाटी की सभ्यता है । सिंधु , पाकिस्तान में स्थित एक प्रमुख नदी का नाम है , जो पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा नमक स्थान पर है ।
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Answer – 1921 ई में भारतीय विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देशन में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की एवं राखलावास बनर्जी के 1922 ई में मोहनजोदड़ो की खोदाई करवाई ।
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Answer – हड़प्पा सभ्यता में कच्ची ईंटो का प्रयोग कोटदीजी में हुआ था , जिसकी खोज धुर्य एवं फजल अहमद खान ke उत्खनन कार्य के समय 1935 ई तथा 1955 ई में सिंध ( पाकिस्तान ) में की गई ।
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Answer – सन 1957 ई में लोथल में जो की अहमदाबाद ( गुजरात ) में , रंगनाथ राव के द्वारा उत्खनन मे वृताकार तथा चौकोर , अग्नवेदिका , चावल और बाजरे पर दोमुहे राक्षस का अंकन , फारस की मुहर , घोड़े की मृण्मूर्ति , गोड़ीबड़ा , तीन गुग्मित समाधियाँ , पूर्ण हाथी दाँत , चालक लोमड़ी का चिन्ह आदि प्राप्त हुए है ।
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Answer – Hadappa Sabhyata ( हड़प्पा सभ्यता ) के प्रमुख चार भगौलिक स्थल है –
- मांडा
- आलमगीरपुर
- दायमाबाद
- सुत्कन्गेडोर
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