Madhya Pashan Kal ( मध्यपाषाण काल )

Madhya Pashan Kal ( मध्यपाषाण काल )

प्रश्तर – युगीन संस्कृति में 9000 ईसा पूर्व तक एक अवश्था आई , जो मध्यपाषाण काल कहलाती है । भारत में मध्यपाषाण काल के विषय में जानकारी सर्वप्रथम C L Carlael द्वारा सं 1867 ई में विंध्य क्षेत्र से लघु पाषाण उपकरण खोजे जाने से हुई ।

क्रेडिट – यह पोस्ट अथवा पाठ्य सामग्री NCERT की पुस्तक सर महेश कुमार बरनवाल जी की सामान्य ज्ञान की पुस्तक से लिया गया है । किसी भी Competitive Exams की तैयारी के लिए NCERT की पुस्तक बहुत अच्छी है ।

Madhya Pashan Kal ki Visheshta ( मध्य प्रश्न काल की विशेषताएं )

मध्यपाषाण युग के लोग शिकार कर मछली पकड़कर और खाद्य वश्तुओं का संग्रह कर जीवन – यापन करते थे। मध्यपाषाण युग के विशिष्ट औजारों में सूक्ष्म – पाषाण ( पत्थर ) के बहुत छोटे औजार प्रमुख है ।

Madhya Pashan Kal ( मध्यपाषाण काल ) में ही माकन बनाने का प्राचीनतम साक्ष्य पाया गया ।

मध्यपाषाण काल में विश्व में मिटटी के बर्तन का प्राचीनतम साक्ष्य पाया गया ।

सर्प्रथम भारत में मानव अष्ठिपंचर मध्यपाषाण काल से प्राप्त होने लगे थे ।

बघहींखोर से मध्यपाषानिक उपकरण , हस्तनिर्मित मृदभांड , पालतू जानवर के साक्ष्य प्राप्त हुए ।

मध्य पाषाण काल में कुत्ता मानव का प्रथम पशु था ।

Madhya Pashan Kal ke Sthal ( मध्यपाषाण काल के स्थल )

मध्यपाषाण स्थल राजस्थान , दक्षिण उत्तर प्रदेश , मध्य और पूर्वी भारत में अत्यधिक मात्रा में पाए गए है । इसके अतिरिक्त कुछ स्थल दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के दक्षिण में भी पाए गए है ।

भारत में अस्थिपंचार मध्यपाषाण काल से ही प्राप्त होने लगे थे । भीलवाड़ा जिले कोठारी नदी के तट पर स्थित बागोर भारत का सबसे बड़ा मध्यपाषानिक स्थल है ।

मध्य प्रदेश में आदमगढ़ और राजस्थान में बागोर पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्रस्तुत करते है , जिसका समय लगभग 5000 ईसा पूर्व हो सकता है ।

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