Nav Pashan Kal ki Visheshtaen ( नवपाषाण काल की विशेषताएं )
क्रेडिट – यह पोस्ट अथवा पाठ्य सामग्री NCERT की पुस्तक सर महेश कुमार बरनवाल जी की सामान्य ज्ञान की पुस्तक से लिया गया है । किसी भी Competitive Exams की तैयारी के लिए NCERT की पुस्तक बहुत अच्छी है ।
Nav Pashan Kal ( नवपाषाण काल ) शब्द यूनानी भाषा के नियो ( NEO ) , जिसका अर्थ है नवीन तथा लिथिक ( Lithic ) , जिसका अर्थ होता है – पाषाण , से लेकर बनाया गया है निओलिथिक यानि नवपाषाण काल । नवपाषाण काल प्रागैतिहासिक काल का अंतिम युग माना जाता है । भारत में नवपाषाण काल से सम्बद्ध पुरातात्विक खोज प्रारम्भ करने का श्रेय डॉ प्राइमरोज को जाता है , जिन्होंने 1842 ई में कर्नाकट के लिंगसुगुर नमक स्थल से उपकरण खोजे थे ।
सर्वप्रथम 1860 ई में लॉ मासुरिये ने इस काल के प्रथम प्रस्तर उपकरण के साक्ष्य को उत्तर प्रदेश की टोंस नदी घाटी से प्राप्त किया था ।
Bharat me Nav Pashan Kal ki Visheshtaye ( भारत में नवपाषाण काल के विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण )
नवपाषाण युग ( Navpashan Yug ) की एक ऐसी बस्ती मिली है , जिसका समय लगभग 7000 ईसा पूर्व बताया जाता है । यह बस्ती पाकिस्तान में स्थित बलूचिस्तान प्रान्त के मेहरगढ़ में है । मेहड़गढ़ में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है ।
इलाहबाद में स्थित कोल्डिहवा एकमात्र ऐसा नवपषिदिक पुरास्थल है , जहाँ से चावल या धान की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए है । Navpashan yug ( नवपाषाण युग ) के निवासी सबसे पुराने कृषक समुदाय थे । ये लोग स्थायी घर बनाकर रहने लगे । मिटटी के बर्तन सर्वप्रथम इसी काल में बने थे । कृषि तथा पहिये का अविष्कार नवपाषाण काल में हुआ था ।
Nav Pashan Kal में लोग पत्थर के पालिशदार औजारों और हथियारों का प्रयोग करते थे , वे विशेष रूप से पत्थर की कुलकहाड़ियो का इस्तेमाल करते थे ।
बुर्जहोम , जिसका अर्थ होता है , भूर्ज वृक्ष का स्थान । यह श्रीनगर से 16 किलोमीटर उत्तर – पश्चिम में स्थित नवपाषणिक स्थल है , जहाँ युग्मत शवदाह के प्रमाण मिले है ।
नवपाषाण स्थल गुफकराल , जिसका अर्थ होता है कुलाल अर्थात कुम्हार की गुफा ।
Navpashan Yug ke Sthal ( नवपाषाण युग के स्थल )
Nav Pashan Kal के लोग कृषि और पशुपालन दोनों तरह के कार्य करते थे । कश्मीर में नवपाषाण काल के लोग हड्डी में बहुत सरे औजारों और हथियारों का भी प्रयोग करते थे । भारत में सिर्फ चिरांद ही एक ऐसा स्थान है , जहाँ हड्डी के अनेक उपकरण पाए गए है । यह स्थान गंगा के उत्तरी किनारे पर पटना से 40 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है ।
Nav Pashan Kal में बुर्जहोम के लोग हड्डी खुरदरे , धूसर मृदभांडों का प्रयोग करते थे । यहाँ कब्रों में पालतू कुत्ते भी अपने मालिकों के शवों के साथ दफनाए जाते थे ।
Nav Pashan Kal में सम्भवः ताम्बे का सर्वप्रथम प्रयोग लगभग 5000 ईसा पूर्व में किया गया । इसका प्रमाण अतिरमपक्कम ( मद्रास ) से प्राप्त हुए ताम्बे की कुल्हाड़ी है ।
ताम्रपाषण युगीन मानव ने भारत में पहली बार ग्रामीण सभ्यता की स्थापना की थी । तकनिकी द्रिष्टी से ताम्रपाषण अवस्था हड़प्पा की कांस्य युगीन संस्कृति से पहले की है , परन्तु कालक्रमानुसार भारत में हड़प्पा की कांस्य संस्कृति पहले और अधिकांश ताम्रयुगीन संस्कृति बाद में आती है । ताम्रपाषण युग के लोग सामान्यतः पक्की ईंटो से परिचित नहीं थे । इनका प्रयोग कभी – कभी होता था ।
Nav Pashan Kal के ताम्रपाषण युग के लोग मातृदेवी की पूजा करते थे । कहीं – कहीं कच्ची मिटटी की नग्न मूर्तियों की भी पूजा होती थी । इनामगांव में बड़ी मात्रा में मातृदेवी की प्रतिमाये मिली है ।
पिकलिहल वर्त्तमान कर्नाटक में यहाँ से राख के डेढ़ और निवास स्थान मिले है । Nav Pashan Kal में लोग घर बनाकर रहने लगे थे । मेहड़गढ़ में बसने वाले लोग अधिक उन्नत थे तथा कच्ची ईंटो के घरो में रहते थे । बर्तन बनाने की कला सबसे पहले इसी युग में दिखाई देती है ।
Nav Pashan Kal ( नवपाषाण काल ) में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य के अंतर्गत गेंहू की 3 , जौ की 2 किस्मो की खेती के तथा ईंटो के आयताकार मकान के साक्ष्य मिले है ।
Nav Pashan Kal से पूछे जाने वाले महत्पूर्ण प्रशोत्तर
Answer – बुर्जहोम , जिसका अर्थ होता है , भूर्ज वृक्ष का स्थान । यह श्रीनगर से 16 किलोमीटर उत्तर – पश्चिम में स्थित नवपाषणिक स्थल है , जहाँ युग्मत शवदाह के प्रमाण मिले है । Nav Pashan Kal में बुर्जहोम के लोग हड्डी खुरदरे , धूसर मृदभांडों का प्रयोग करते थे । यहाँ कब्रों में पालतू कुत्ते भी अपने मालिकों के शवों के साथ दफनाए जाते थे ।
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Answer – सर्वप्रथम 1860 ई में लॉ मासुरिये ने इस काल के प्रथम प्रस्तर उपकरण के साक्ष्य को उत्तर प्रदेश की टोंस नदी घाटी से प्राप्त किया था ।
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नवपाषाण युग ( Navpashan Yug ) की एक ऐसी बस्ती मिली है , जिसका समय लगभग 7000 ईसा पूर्व बताया जाता है । यह बस्ती पाकिस्तान में स्थित बलूचिस्तान प्रान्त के मेहरगढ़ में है । मेहड़गढ़ में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है ।
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इलाहबाद में स्थित कोल्डिहवा एकमात्र ऐसा नवपषिदिक पुरास्थल है , जहाँ से चावल या धान की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए है ।
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नवपाषाण काल का स्थान चिरांद किस राज्य में है ? ( Nav Pashan Kal ka sthan Chirand kis Rajya me h? )
Answer – नव पाषाण काल का चिरांद बिहार राज्य में स्थित है । भारत में सिर्फ चिरांद ही एक ऐसा स्थान है , जहाँ हड्डी के अनेक उपकरण पाए गए है । यह स्थान गंगा के उत्तरी किनारे पर पटना से 40 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है ।
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Anaswer – Navpashan yug ( नवपाषाण युग ) के निवासी सबसे पुराने कृषक समुदाय थे । ये लोग स्थायी घर बनाकर रहने लगे । मिटटी के बर्तन सर्वप्रथम इसी काल में बने थे ।
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Nav Pashan Kal निवासी पशुपालक थे । ये गाय , बैल , बकरी एवं भेड़ आदि पालते थे । यहाँ से राख के ढेर व निवास स्थल दोनों मिले है ।
Nav Pashan Kal ke Sthal aur Sakshya ( नवपाषाण काल के स्थल और साक्ष्य )
नवपाषाण काल के स्थल और साक्ष्य |
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1. | मेहरगढ़ | बलूचिस्तान / पाकिस्तान | Nav Pashan Kal में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य के अंतरगर्त गेंहू की तीन व जौ की दो किश्मो की खेती के प्रमाण मिले है । इसके अलावा कच्ची ईंटो से बने आयताकार मकानों के भी साक्ष्य प्राप्त हुए है । |
2. | बुर्जहोम | कश्मीर | श्रीनगर स्थित झील के किनारे गरतावास ( गडडाहर ) का प्रमाण 1935 ई में डी टेरा व पीटरसन द्वारा खोजा गया था । यहाँ लोग खेती से परिचित थे । यहाँ कब्रों में पालतू कुत्तो को भी उनके मालिकों के शवों के साथ दफना दिया जाता था । |
3. | गुफकराल ( कुम्हार की गुफा ) | कश्मीर | यह श्रीनगर से 41 किलोमीटर दक्षिण – पश्चिम में स्थित है । यहाँ से कृषि व पशुपालन के साक्ष्य मिले है । |
4. | कोल्डिहवा | उत्तर प्रदेश | यह बेलन नदी पर इलाहबाद के दक्षिण में स्थित है । यहाँ उत्खनन से 6500 ईसा पूर्व के धान की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए है , जो धान की खेती का भारत में ही नहीं , बल्कि विश्व में सबसे प्राचीन साक्ष्य माना जाता है । |
5. | महमदा | उत्तर प्रदेश | गंगा नदी के दक्षिण में विन्धय क्षेत्र के उत्खनन से गोलाकार झोपड़ियों के प्रमाण मिले है । धान के अलावा जौ की खेती व पशुवाड़ा के भी साक्ष्य मिले है । |
6. | चिरांद | बिहार | सरन जिले में स्थित नवपाषाणकालीन एकमात्र स्थल है , जहाँ से प्रचुर मात्रा में हड्डी के उपकरण प्राप्त हुए है , जो प्रायः हिरणो के सींगो से निर्मित थे । |
7. | डायोजली | असम | कृषि व पशुपालन के साक्ष्य मिले है । |
8. | सारतारु | असम | गुवाहाटी के निकट उत्खनन से आदिम कुल्हाड़ियों व अंकित मृत्भांड प्राप्त हुए है । |
9. | संगनकल्लु | कर्नाटक | मैसूर के निकट बेल्लारी जिले में स्थित है । यहाँ से राख के टीले प्राप्त है । ये टीले पशुबाड़ों के स्थल है । |
10. | पिकलीहल | कर्नाटक | Nav Pashan Kal निवासी पशुपालक थे । ये गाय , बैल , बकरी एवं भेड़ आदि पालते थे । यहाँ से राख के ढेर व निवास स्थल दोनों मिले है । |
11. | चोपानीमंडो | उत्तर प्रदेश | इलाहबाद के नितक माखुमक्खी के छत्ते जैसी झोपड़ियों , ज्यामितीय आकार के सूक्ष्म पाषाण व हस्त निर्मित मृत्भांड के साक्ष्य मिले है । |