Purapashan Kal ( पुरापाषाण काल ) History in Hindi
Purapashan Kal ( पुरापाषाण काल ) मानव धरती पर संभवतः प्लीस्टोसीन युग के आरम्भ में पैदा हुआ । इसी समय गाय , हाथी और घोडा आदि का उदभव हुआ । महाराष्ट्र के नोरि नमक स्थान से नए तथ्यों के उजागर होने के कारन अब मानव की उपश्थिति 14 लाख वर्ष पूर्व मानी जा रही है ।
क्रेडिट – यह पोस्ट अथवा पाठ्य सामग्री NCERT की पुस्तक सर महेश कुमार बरनवाल जी की सामान्य ज्ञान की पुस्तक से लिया गया है । किसी भी Competitive Exams की तैयारी के लिए NCERT की पुस्तक बहुत अच्छी है ।
आदिमानव पत्थर के अनगढ़ और अपरिष्कृत औजारों का प्रयोग करता था । यह काल आखेटक एवं खाद्य संग्राहक काल के रूप में भी जाना जाता है ।
भारत में पुरापाषाणकालीन मानव के शारीरिक अवशेष जीवाश्म कही से भी नहीं प्राप्त हुए है । पुरापाषाण काल में मानव का जीवन एवं शिकार खाद्य संग्रह पर निर्भर था ।
Purapashan Yug ki Avashthaye ( पुरापाषाण युग की अवश्थाये )
भारतीय पुरापाषाण युग को तीन भागो में बांटा जाता है –
- आरंभिक या निम्न पुरापाषाण काल
- मध्य पुरापाषाण काल
- उच्च पुरापाषाण काल
पहली अवश्था को 5,00,000 ईसा पूर्व से 50,000 ईसा पूर्व के मध्य , दूसरी अवश्था को 50,000 ईसा पूर्व और 40,000 ईसा पूर्व के मध्य एवं तीसरी अवश्था को 40,000 ईसा पूर्व और 10,000 ईसा पूर्व के मध्य माना जाता है ।
Nimn Purapashan Kal ( निम्न पुरापाषाण काल )
Nimn Purapashan Kal ( निम्न पुरापाषाण काल ) में मानव मूलतः क़्वार्टजाइट पत्थर का उपयोग करते थे । इस काल में औजारों का प्रयोगकर्ता होमोइरेक्टस था । इस काल के उपकरणों को दो भागो में बांटा गया है –
- चॉपर – चॉपिंग ( पेबुल संस्कृति ) – के उपकरण सर्वप्रथम पंजाब की सोहन नदी घाटी से प्राप्त हुए , इसी कारन इसे सोहन संस्कृति कहा जाता है ।
- हैण्ड – एक्स संस्कृति – के उपकरण मद्रास ( आधुनिक चेनई ) के समीप बदमादुरई तथा अतिरमपक्कम से प्राप्त किये गए , इसे मद्रास संस्कृति भी कहते है ।
सर्वप्रथम आग का प्रयोग करने का प्रमाण इस काल में चीन के चाऊ – जू – कोजियन गुफा से प्राप्त होता है । लेकिन इस समय आग का प्रयोग नियमित नहीं होता था ।
सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्रूस फुट ( अंग्रेज भूवैज्ञानिक एवं पुरातत्ववेत्ता ) ने 1863 ई में मद्रास के पास पल्लावरम नमक स्थान से प्रथम हैंड – एक्स ( हाथ की कुल्हाड़ी ) प्राप्त की थी ।
आरंभिक पुरापाषाण काल के स्थल पाकिस्तान में स्थित पंजाब की सोहन नदी की घाटी में भी पाए जाते है ।
मध्य प्रदेश के भोपाल के पास भीमबेटका की गुफाओ और शैलाशराओ ( चट्टानों से बने आश्रयो ) में औजार मिले है , जो लगभग 1,00,000 ईसा पूर्व के है ।
Nimn Purapashan Kal ( निम्न पुरापाषाण काल ) के वर्णन में मध्य नर्मदा घाटी के हथनौरा ( होशंगाबाद ) से एक मानव की खोपड़ी मिली ( भारत में यही एकमात्र मानव जीवाश्म मिला है ) ।
Madhya Purapashan Kal ( मध्य पुरापाषाण काल )
मध्य पुरापाषाण काल में क़्वार्टजाइट पथरो के स्थान पर जैस्पर चर्ट , फ़्लिलत आदि के पत्थर प्रयुक्त होने लगे ।
फलक उपकरण की प्रधानता के कारन इस काल को फलक संस्कृति की संज्ञा दी जाती है । फलक एक प्रकार का औजार होता है , जिसे पत्थर को तोड़कर बनाया जाता है ।
Madhya Purapashan Kal ( मध्य पुरापाषाण काल ) में मुख्यतः पत्थर की पपड़ी से बनी वस्तुओं का उपयोग होता था । इस युग के मुख्य औजार पपडीओ के बने विविध प्रकार के फलक , वेधनि , छेदनी और खुरचनी है ।
एक काल में कुत्ते को पालतू बनाया तथा श्रृंगार साधनो का प्रयोग होने लगा ।
Uchh Purapashan Kal ( उच्च पुरापाषाण काल )
Uchh Purapashan Kal ( उच्च पुरापाषाण काल ) के उपकरण ब्लेड के होते थे ।
Uchh Purapashan Kal ( उच्च पुरापाषाण काल ) के विश्वव्यापी सन्दर्भ में दो विशेषताएं है – नए चकमक उद्योग की स्थापना और आधुनिक मानव ( होपोसेपियन्स ) का उदय ।
Answer – पुरापाषाण काल मानव धरती पर संभवतः प्लीस्टोसीन युग के आरम्भ में पैदा हुआ । इसी समय गाय , हाथी और घोडा आदि का उदभव हुआ । महाराष्ट्र के नोरि नमक स्थान से नए तथ्यों के उजागर होने के कारन अब मानव की उपश्थिति 14 लाख वर्ष पूर्व मानी जा रही है ।
पुरापाषाण काल के सम्पूर्ण वर्णन के लिए Pura Pashan Kaal का विस्तार पूर्वक अध्ययन करे ।
தினசரி தமிழ்நாடு வேலை புதுப்பிப்புகளுக்கான டெலிகிராம் குழுவில் சேரவும்
தினசரி அரசு மற்றும் தனியார் வேலை வாய்ப்பு செய்திகளுக்கு WhatsApp குழுவில் இணைந்து கொள்ளுங்கள்